बार-बार ये क्या बांग्लादेश, बांग्लादेश लगा रखा है डॉक्टर की पढ़ाई MBBS के लिए


क्यूं करे बांग्लादेश से MBBS की पढ़ाई, जांनिये कुछ अनछुए सवालों के जवाब, जिसे कोई शिक्षा सलाहकार, एजेंट, कंसल्टेंट, एडमिशन एक्सपर्ट नही बताते।

रूस, चीन, यूक्रेन, फिलीपींस, जॉर्जिया से और बांग्लादेश से MBBS पढ़ाई में आने वाली बाधाए,सुविधाएं व अंतर:

1. जलवायु व वातावरण:
रूस, चीन, यूक्रेन जॉर्जिया, बेलारूस, अर्मेनिया में सर्दियों में माइनस -10 डिग्री तापमान आम है , ये कभी-कभी माइनस -20 डिग्री तापमान तक भी पहुँच जाता है भारत मे +25 से +35 डिग्री तापमान में रहने वालों की सेहत के लिए तब कुछ मुश्किलें रहती है जबकि बांग्लादेश में भारत जैसा ही तापमान और मौसम रहता है। जबकि बांग्लादेश का तापमान कलकत्ता जैसा ही है ।

2. रूस, चीन, यूक्रेन जॉर्जिया, बेलारूस, अर्मेनिया भारतीय संस्कृति से एकदम अलग कल्चर, वेशभूषा, खान पान से बच्चों का अपनी तहजीब, धार्मिक परम्पराओ को दरकार कर वेस्टर्न कल्चर को अपना लेने का खतरा रहता है जबकि बांग्लादेश में पढ़ना, कलकत्ता में पढ़ने जैसा ही है, अकेली लड़की कलकत्ता में अपने कॉलेज में पढ़ने जाती है उसी तरह बांग्लादेश में भी भारतीय, बांग्लादेश की लड़किया अपने कॉलेज कैंपस के होस्टल से कॉलेज और जरूरत पड़ने पर बाहर बाज़ार में खरीदारी करने आ जा सकती है । कोई पाबंदी या असुरक्षा का अहसास नही होता है

3. रूस, चीन, यूक्रेन, फिलीपींस, जॉर्जिया में शुद्ध शाकाहारी जैन, ब्राह्मण विद्यार्थियों को बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, मनचाहा इंडियन शाकाहारी खाना नहीं मिलने से सेहत पर असर पड़ने से पढ़ाई पर भी असर होता है । तन सुखी तो मन सुखी, मन सुखी तो सब कुछ अच्छा । जबकि बांग्लादेश के कॉलेज होस्टल, शाकाहारी कैंटीन मेस में, शहर, गलियों में अपने घर, शहर जैसा स्वादिष्ट खाना मिल जाता है।

4. बांग्लादेश में सुरक्षा को ले कर गाँव, शहर जैसा ही वातावरण:

रूस, चीन, यूक्रेन, फिलीपींस, जॉर्जिया कम जनसंख्या होने से, मकान, बाजार, हॉस्पिटल सब दूर-दूर होने से एकदम से आप होस्टल, कॉलेज से बाहर नही निकल सकते। समय देख कर कार्य करने की आदत डालनी ही पड़ती है, बांग्लादेश में भारत जैसी अधिक जनसंख्या होने से, मकान, बाजार, हॉस्पिटल सब घर के बाहर ही मिल जाता है, इमरजेंसी, जरूरत होने पर एकदम से आप रात में भी होस्टल, कॉलेज से बाहर निकल सकते है । सुरक्षा को ले कर कोई परेशानी नही ।

https://youtu.be/zTn03WUJplg




5. बांग्लादेश जैसे (विकासशील देश, अब विकसित देश की और बढ़ रहा है) मे पढ़ने क्यों जाए ?

बांग्लादेश अब विकासशील देश नही रहा, जहाँ भुखमरी, गरीबी की खबरे पढ़ने को मिलती, भारत के अर्थशास्त्री कौशिक बासु ने अपने ट्विटर पर लिखा, "अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ़ " के अनुमान के मुताबिक़ प्रति व्यक्ति जीडीपी में बांग्लादेश भारत को 2021 में पीछे छोड़ देगा. तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्था वाले देश इतना अच्छा कर रहे हैं, ये अच्छी ख़बर है. लेकिन भारत के लिए ये आँकड़े चौंकाने वाले हैं. पाँच साल पहले तक बांग्लादेश भारत से 25 फ़ीसदी पीछे था. देश को बोल्ड राजकोषीय/ मौद्रिक नीति की ज़रूरत है." ।

सिर्फ अर्थव्यवस्था ही नही मेडिकल शिक्षा में भी बांग्लादेश की प्रगति का अंदाज लगा सकते हो कि भूटान के वर्तमान प्रधानमंत्री डॉक्टर लोटे शेरिंग ने ढाका यूनिवर्सिटी से डॉक्टरी पढ़ी और बांग्लादेश से ही मेडिकल में मास्टर डिग्री कर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की स्कॉलरशिप पर अमेरिका में भी पढ़ाई की. जब वो देश लौटे तो भूटान के अकेले यूरोलॉजिस्ट थे ।

             डॉक्टर लोटे शेरिंग वो ने भारत के मेडिकल शिक्षा के बजाए बांग्लादेश में मेडिकल शिक्षा ग्रहण करने को वरियता (तरजीह) दी । ये सोचने वाली बात है, ऐसा नही है कि बांग्लादेश में शिक्षा का स्तर भारत से बहुत बेहतर हो गया । कारण है भारत मे मेडिकल की शिक्षा अभी भी बहुत महंगी है, आम आदमी डॉक्टर बनने की सोच नही सकता । इसी कारण भूटान के वर्तमान प्रधानमंत्री डॉक्टर लोटे शेरिंग ने दिल्ली, मुम्बई, बैंगलोर जैसी चमक धमक वाली शहरों को छोड़ कर बांग्लादेश के मेडिकल कॉलेज को चुना, कारण सिर्फ सस्ती कीमत पर उपलब्ध अंतरराष्ट्रीय स्तर की मेडिकल शिक्षा ही नही है और भी पहलू रहे होंगे जिन्होंने डॉक्टर लोटे शेरिंग  को बांग्लादेश से MBBS करने के निर्णय को निश्चय करने को मजबूर कर दिया । भूटान जैसी ही जलवायु, खान-पान, संस्कृति अन्य कारण भी रहे बांग्लादेश को मेडिकल शिक्षा को चुनने में

6. अधिकतर मेडिकल सलाहकार, मेडिकल शिक्षा एजेंट, इमीग्रेशन सलाहकार, एजेंट यूक्रेन में मेडिकल शिक्षा में 6 वर्ष के पीरियड में हर 3 साल के बाद 2 बार आयोजित क्रोक परीक्षा के बारे में बताने से बचते है, जो 3 साल की पढ़ाई का क्वालीफाई एग्जाम कह सकते है, Krok Exam पास करने पर ही आप को 3 साल बाद वाले सेमेस्टर में दाखिला मिलता है, वरना फैल होने पर आप को क्रोक पास करना ही होगा, जिसके लिए आप के पास 2 चांस होते है वरना आप को 1 साल दुबारा पढ़ना होगा । इस तरह यूक्रेन में 6 साल की MBBS की पढ़ाई में 2 बार क्रोक परीक्षा पास करना स्टूडेंट के लिए बैरियर का काम करती है, इस तरह के क्रोक परीक्षा आप को बांग्लादेश में नही मिलेगी।

इसी तरह आप फिलीपींस देश मे MBBS की पढ़ाई के बारे में मिलेगा, फिलीपींस में शिक्षा संयुक्त राज्य अमेरिका (United States) की शिक्षा प्रणाली का अनुसरण फॉलो करती है । यह भारत में 10+2 प्रणाली के बजाय 10+4 प्रणाली का अनुसरण करता है। इसलिए, आपको वहां एक प्री-मेडिकल कोर्स से गुजरना होगा, अर्थात् BS जो कि 15-18 महीने का कोर्स है। 

फिलीपींस में मेडिकल शिक्षा, MBBS  के लिए पहले NMAT एंट्रेंस टेस्ट देना होगा और उसको पास, क्वालीफाई करना होगा।  इस तरह फिलीपींस में एक Valid NMAT स्कोर के साथ आप एक मेडिकल यूनिवर्सिटी में MBBS के लिए एडमिशन ले सकते है ।

बांग्लादेश में आप सिर्फ NEET पास स्कोर के साथ मेडिकल यूनिवर्सिटी में MBBS के लिए एडमिशन ले सकते है आप को फिलीपींस में मेडिकल शिक्षा, MBBS  के लिए पहले BS और NMAT क्वालीफाई अलग से देने की जरूरत नही । जब भारत मे 16 - 17 लाख स्टूडेंट्स के मध्य कॉम्पिटिशन कर NEET क्वालीफाई कर दिया तो फिर दुबारा से उस देश फिलीपींस में मेडिकल शिक्षा, MBBS  के लिए अलग से BS और NMAT क्वालीफाई क्यों दे, जब NEET स्कोर पर बांग्लादेश में मेडिकल यूनिवर्सिटी में MBBS seat एडमिशन मिल रहा है, ये सोचने वाली बात है।


7. भारत के मेडिकल शिक्षा की किताबों के लेखकों (राइटर्स) की लिखी मेडिकल बुक्स का बांग्लादेश में MBBS कोर्स में चलन होने से बांग्लादेश से MBBS करने वाले इंडियन स्टूडेंट्स को इसका भरपूर फायदा मिलता है। भारत और बांग्लादेश में MBBS का सिलेबस, किताबे एक जैसी होने से नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशंस (NBE) द्वारा लिए जाने वाले फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट्स एग्जामिनेशन (FMGE) की परीक्षा पास करने में आसानी रहती है । 

         चीन, रूस, यूक्रेन, जॉर्जिया, आर्मेनिया, बेलारूस, किर्जिस्तान, कजाखस्तान से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी कर भारत लौटने वाले अधिकांश डॉक्टर यहां फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट्स एग्जामिनेशन (FMGE) की परीक्षा पास ही नहीं कर पाते। इस परीक्षा को पास किए बिना वे भारत में मेडिकल प्रैक्टिस नहीं कर सकते। उन्हें प्रैक्टिस करने के लिए लाइसेंस ही नहीं मिलेगा। FMGE परीक्षा पास करने वालों की संख्या 15 फीसदी से भी कम है। इस मामले में मॉरिशस, बांग्लादेश से एमबीबीएस करने वाले अभ्यर्थियों का प्रदर्शन सबसे बेहतर रहा। मॉरिशस से MBBS पढ़ने वाले 154 डॉक्टर परीक्षा में शामिल हुए। इनमें से 81 को सफलता मिली। यानी करीब 52 फीसदी सफल हुए।

दूसरे स्थान पर बांग्लादेश से एमबीबीएस करने वाले अभ्यर्थियों का प्रदर्शन बेहतर रहा। बांग्लादेश से MBBS पढ़ने वाले 1265 डॉक्टर परीक्षा में शामिल हुए। इनमें से 343 को सफलता मिली। यानी करीब 28 फीसदी सफल हुए।

• ये आंकड़े नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशंस (NBE) द्वारा जारी किए गए हैं। NBE ही FMGE का आयोजन करती है। एनबीई ने 2015 से 2018 के बीच FMGE देने वाले डॉक्टरों और उनके पास प्रतिशत का अध्ययन किया। इनकी कुल संख्या 61,708 थी। लेकिन इनमें से महज 8,764 अभ्यर्थी ही परीक्ष पास कर पाए। यानी 14.2 फीसदी।

अंत मे सार ये है आप बांग्लादेश को मेडिकल पढ़ाई के लिए सिर्फ ये सोच कर चुन सकते है कि आजादी से पहले के बंगाल में बच्चा पढ़ाई कर रहा है, कलकत्ता और ढाका के मध्य सिर्फ बॉर्डर है और उसे पार करने के लिए सिर्फ पासपोर्ट, वीसा की जरूरत रहती है बाकी जो भारत मे है वही बांग्लादेश में, कुछ भी अलग नही ।

लेखक: लियाकत अली, सीनियर मेडिकल शिक्षा सलाहकार और फ्यूचर फोकस्ड एजुकेशन इंडिया के मालिक है। ये लेखक के अपने निजी विचार है, ब्लॉक के नही


सुनी, सुनाई, गडी बातों से आगे सोच कर
भूटान के वर्तमान प्रधानमंत्री डॉक्टर लोटे शेरिंग की तरह बांग्लादेश के मेडिकल यूनिवर्सिटी में एडमिशन ले और डॉक्टरी की पढ़ाई करे। आज ही आप बांग्लादेश में MBBS में भर्ती के लिए मेडिकल शिक्षा सलाहकार, बांग्लादेश में MBBS लिए वीसा सलाहकार, बांग्लादेश इमीग्रेशन सलाहकार एजेंसी फ्यूचर फोकस्ड एजुकेशन इंडिया से  +91 9460551841 संपर्क करे ।

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