Drop, Repeat कर 2 - 3 साल तक NEET Exam की तैयारी करने वाले स्टूडेंट्स और मौजूदा हालात पर सवाल
ये लेख खास कर उन पैरेंट्स माता-पिता को समर्पित है जिनके बच्चे मेडिकल पढ़ाई के लिए होने वाले NEET Exam के लिए ड्राप कर है Repeat कर रहे है । उन स्टूडेंट्स के लिए भी फायदेमंद है जो 2 - 4 साल Drop, Repeat करने का निश्चय कर चुके है या सरकारी मेडिकल कॉलेज सीट के लिए ये सब करना जिनकी नियति बन चुका है
# 1 साल का कोटा जैसे कोचिंग हब शहरों में कोचिंग की फीस, रहना, खाना, मोबाइल, किताबे, स्टेशनरी आने-जाने ट्रेवलिंग का खर्चा मिला कर 2 से 3 लाख खर्चा + जीवन का अमुल्य 1 साल का निकल जाना
# 2 साल का खर्चा 3 से 6 लाख रुपये +जीवन का अमुल्य 2 साल का निकल जाना
# कुछ बच्चे तो 9वी, 10 वी कक्षा में ही देश के कोने कोने से कोटा जैसे शहरों में आ कर नीट की कॉचिंग लेने लग जाते है ऐसे बच्चों का 6 - 7 साल का खर्चा 9 से 10 लाख रुपये होता है + जीवन का अमुल्य 2 से 3 साल का निकल जाना।
खर्चों पर खर्चे तो होते रहेंगे हम कुछ और चर्चा करते है, सरकारी मेडिकल सीट नही मिलने पर अपने डॉक्टर बनने के सपनों को तोड़ कर B.Sc./B.Pharma/B. Ed./BA/नर्सिंग में एडमिशन क्यों लेता है स्टूडेंट ? इस पर चर्चा करते है।
सीधा सा कारण है, लिमिटेड बजट जो महंगी कॉचिंग पर खर्च कर देता है, महंगी ऑफलाइन कोचिंगों में लाखों रूपये खर्च करने के बाद, विदेश के सस्ते 20 लाख बजट के अंतरराष्ट्रीय मेडिकल यूनिवर्सिटी में भर्ती होने के लिए पेरेंट्स के पास पर्याप्त पैसे नही बचते है और NEET Aspirants के पास वो जोश, जुनून नही रहता है, जो उसके पास NEET पास करने के बाद होता है।
कोचिंग सेंटर, पेरेंट्स एक एवरेज 150 से 500 नंबर NEET के रिजल्ट देने वाले से उम्मीद करते है कि वो बार-बार REPEAT कर NEET क्रैश करे, 17 लाख स्टूडेंट्स में MBBS की 41388 सरकारी सीट के लिए बार-बार कोचिंग करे या सेल्फ पढ़े। कभी-कभी तो सब मिल कर इतना तनाव - दबाव बना देते है कि स्टूडेंट्स दबाव में सूसाइड-आत्महत्या जैसे कदम उठा लेते है।
मौजूदा दौर में जब नीट के रिजल्ट में आल इंडिया रैंक AIR-1 पर 3-3 बच्चे आ रहे है अंडर AIR-5 रैंक 16 बच्चे एक जैसा स्कोर 715 मार्क्स ला रहे है तो नार्मल एवरेज स्कोर वाले नीट अभ्यर्थियों की क्या पोजीशन रहेगी आने वाले समय मे जब कि MCI, NMC के रोज़ नए-नए कानून और नई-नई पॉलिसिया आ रही है, अब इंडिया में डॉक्टर बनना महंगा ही नही मुश्किल भी हो गया है, इसी कारण सिर्फ 108 और 138 मार्क्स लाने वाले नीट अभ्यर्थी विदेश में मेडिकल सीट के लिए जा रहे है और 5 वर्ष में MBBS कर लौट आते है, मानो 5 साल के लिए विदेश ना जा कर कोटा से MBBS कर के आये है ।
फिर क्या करे ? आप बताये ?
जरूरत है, सही समय पर, सही निर्णय और तुरंत लेने की । ना कि नाई, चाय की दुकानों पर, गली, चोराहों पर बैठे रायचन्द जी की राय को सुन कर निर्णय ले।
जब स्टूडेंट ने 108 मार्क्स ला कर NEET क्वालिफाइड कर लिया है, हम जानते है, स्टूडेंट एवरेज रिजल्ट देने वाला है, 600+नंबर नही ला सकता है।
17 लाख NEET एग्जाम देने वाले परीक्षार्थियों में से हर साल 20,000 पेरेंट्स अपने बच्चों को बिना इक पल गवाय, बर्बाद करे, सही समय पर निर्णय ले कर मात्र 20 लाख के बजट की विदेश के अंतरराष्ट्रीय स्तर के कॉलेज की मेडिकल सीट पर एडमिशन ले कर इंडिया के प्राइवेट मेडिकल कॉलेज की 1 करोड़ रूपये की कीमत के बराबर वाली मेडिकल सीट के लेवल पर आ जाते है और हमारे बच्चे 2 -3 साल तक कोचिंग- कोचिंग खेलते है तब तक ये विदेश में MBBS सीट में एडमिशन लेने वाले 5 साल में उनके बच्चे MBBS कर डॉक्टर बन कर FMG पास कर प्रैक्टिस कर डॉक्टर बन जाते है और 2 - 2 साल, 3 साल REPEAT करने वाले स्टूडेंट्स और उनके पैरेंट्स उनको देखते ही रहते है, और उनके पेरेंट्स मन ही मन मे अपने निर्णय को कोसते रहते है, स्टूडेंट सरकारी मेडिकल सीट नही मिलने पर B.Sc./B. Pharma/नर्सिंग में एडमिशन ले कर अपने सपनों को तोड़ देता है और अपने माता पिता का डॉक्टर बनाने के सपनों को अपने बच्चों से करवाने का संकल्प कर एक और New Parents Born को जन्म देते है जिन का सपना होगा आने वाली पीढ़ियों से डॉक्टर निकालने की उम्मीद करते है हुए Dream Carry Forward कर देते है।
Invest Time, Money for Future Focused based MBBS Degree either it is in Abroad Study.
Do't waste Time, Money on Micrale (Dream - One Govt Medical Seat admission in out of 17 Lakh NEET Aspirants)
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